Bhagwat geeta top18 Shlok in Hindi

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ 1

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)
हिंदी अनुवाद: हे भारत! जब-जब धर्म का पतन होता है,
अधर्म का उद्भव होता है, तब-तब मैं अवतार लेकर आता

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ 1 (चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7) हिंदी अनुवाद: हे भारत! जब-जब धर्म का पतन होता है, अधर्म का उद्भव होता है, तब-तब मैं अवतार लेकर आता

Facebook
Twitter
WhatsApp

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥ 2
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)



हिंदी अनुवाद: कर्म ही तेरा अधिकार है, फल की इच्छा मत कर। फल की आशा में कर्म मत कर, कर्म में ही लगा रह)

Facebook
Twitter
WhatsApp

उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् ।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः ॥ 3
(षष्ठ अध्याय, श्लोक 5)



हिंदी अनुवाद: अपने आपको अपने ही प्रयासों से ऊपर उठाओ, खुद को नीचे न गिरने दो। मनुष्य का अपना आत्मा ही उसका मित्र है और अपना आत्मा ही उसका शत्रु)

Facebook
Twitter
WhatsApp

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥ 4
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)

हिंदी अनुवाद: “व्यक्ति जो विषयों पर ध्यान करता है, उसका उन विषयों में आसक्ति उत्पन्न होता है। आसक्ति से काम उत्पन्न होता है और काम से क्रोध उत्पन्न होता है॥”

Facebook
Twitter
WhatsApp

यदा संहरते चायं कुर्मो रात्रिस्तथा ।
तदा तत्त्वमसि पश्यन् कालो न पश्यते मुने ॥ 5
(अष्टम अध्याय, श्लोक 20)



हिंदी अनुवाद: हे मुनिवर! जब दिन कार्य पूरा होकर रात आती है, उस समय तत्त्वदर्शी ज्ञानी पुरुष परमात्मा को ही देखता है, उसे काल दिखाई नहीं देता

Facebook
Twitter
WhatsApp

अशाश्वतं खलु धर्मराज्यं तद्भ्रातृभागो युधि कुरुनेत्राणि गच्छन्ति मम ।

ईशुभिश्च परावरे षु राज्यं संजय हे कुरुनन्दन ॥ 6




हिंदी अनुवाद: धर्मराज्य तो अशाश्वत है, इसमें भाइयों को ललकारना व्यर्थ है। हे कुरुनंदन! तुम तो मेरी आँखों के समान हो, इसलिए शीश झुकाकर भगवान कृष्ण की शरण में जाओ

Facebook
Twitter
WhatsApp

यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा ।

तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंशसम्भवम् ॥ 7
(अध्याय 10, श्लोक 41)



हिंदी अनुवाद: जो कुछ भी अस्तित्व में है चाहे वह श्रीमती हो या विजयी पराक्रमी, वह सब मेरे तेज से उत्पन्न हुआ है, अतः तुम मेरी शरण में आओ

Facebook
Twitter
WhatsApp

मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव ।

मामेकं शरणं व्रज विश्वात्मन्मा शुचः स्थिरम् ॥ 8

(अध्याय 7, श्लोक 7 )



हिंदी अनुवाद: इस संसार की सारी वस्तुएँ मणियों की माला में पिरोए हुए मोतियों की तरह मुझमें पिरोई हुई हैं। अतः हे विश्वात्मन्! मेरी शरण में आओ, मुझमें ही तुम्हारा कल्याण है

Facebook
Twitter
WhatsApp

मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम् ।

नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिम् परमां गताः ॥ 9

(अध्याय 8, श्लोक 15)


हिंदी अनुवाद: जो महात्मा मुझे प्राप्त हो गए हैं, वे दुःखों के भंडार इस अशाश्वत संसार में फिर कभी जन्म नहीं लेते

Facebook
Twitter
WhatsApp

मां च यो व्यवसायो युक्त आसीत स एव स उक्तवान् ।

स सुकृती च स युक्तश्चेति त्रिविधः नारः स उच्यते ॥ 10

(अध्याय 7, श्लोक 17)




हिंदी अनुवाद: जो मुझमें लगा हुआ है, जो मुझे खोजता है, जो मेरी उपासना करता है, ऐसे तीन प्रकार के भक्त मुझे प्रिय हैं

Facebook
Twitter
WhatsApp

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।

न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥ 11

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)



हिंदी अनुवाद:”शस्त्र इस आत्मा को नहीं काट सकते, आग इसे नहीं जला सकती, पानी इसे नहीं भिगो सकता, और हवा इसे नहीं सुखा सकती।”

Facebook
Twitter
WhatsApp

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥ 12



हिंदी अनुवाद: सज्जनों का उद्धार करने और दुष्कर्मियों का विनाश करने के लिए मैं युग-युगान्तर में अवतरित होता हूं।

Facebook
Twitter
WhatsApp

वेदाहमेकं शार्दूलविक्रिडितं धर्मजिञा सुसंहितम्।

अथो मे भगवानुवाच मूलशास्त्रम्॥ 13



हिंदी अनुवाद: मैंने वेद का सार एक ग्रंथ में संकलित कर तुम्हें दिया है जिसे धर्मशास्त्र कहते हैं। वही मूल शास्त्र है।

Facebook
Twitter
WhatsApp

मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।

मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः ॥ 14



हिंदी अनुवाद: इस सारे विश्व को मैंने अपने एक अव्यक्त रूप में फैला रखा है, समस्त प्राणी मुझमें स्थित हैं, परंतु मैं उनमें नहीं हूं।

Facebook
Twitter
WhatsApp

ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।

भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया। 15



हिंदी अनुवाद: हे अर्जुन! ईश्वर सभी प्राणियों के हृदय में विराजमान है। माया के यंत्र के द्वारा सभी प्राणियों को भ्रमित किए हुए है।

Facebook
Twitter
WhatsApp

तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।

ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते॥ 17



हिंदी अनुवाद: जो सदा मेरी भक्ति में लीन प्रेमपूर्वक मुझे भजते हैं, उन्हें मैं ऐसा बुद्धियोग देता हूँ जिससे वे मुझ तक पहुँच जाते हैं।

Facebook
Twitter
WhatsApp

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।

तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥ 18



हिंदी अनुवाद: जो लोग मुझे ही सदा ध्याते रहते हैं और मुझमें ही लीन रहते हैं, उन सदायोगरत भक्तों की मैं स्वयं रक्षा करता हूँ।

Facebook
Twitter
WhatsApp

The page receives a daily number of visits.

0 K
Table of Contents

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *